इंडियन - एक सभ्यता की यात्रा जो की अंग्रेजी उपन्यास इंडियन डी ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ सिविलाइजेशन का अनुवाद है।
इसमें पहला अध्याय धोलावीरा के इतिहास के बारे में बताता है। यहां लेकिन इस बात को मनाना होगा कि लेखक ने अपने हर अध्याय में ब्राह्मणवाद पर कठोर प्रहार किया है, लगता है लेखक नमित अरोड़ा हिंदू धर्म और खासकर ब्राह्मणों के तौर-तरीकों से घृणा का भाव रखते हैं।
उन्होंने धोलावीरा के बारे में लिखा है कि कैसे वह सभ्यता अपने समय की उन्नत सभ्यता रही होगी। वहां की नगर नियोजन का अच्छा वर्णन किया है, लेखक ने धोलावीरा शहर के बसने से लेकर उसके पतन तक का इतिहास लिखा है। अंत में आर्यों के आक्रमण को भी इसके समाप्त होने का एक कारण बताने की कोशिश की है।
दूसरे अध्याय में लेखक ने मेगास्थनीज के भारत यात्रा और उसके द्वारा बिताये गए समय के वृत्तांत को लिखा है। इस अध्याय में लेखक ने चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य को असंतुष्ट ब्राह्मण कहा है। इस अध्याय में लेखक ने उस समय के पाटलिपुत्र शहर जो मौर्य और उनसे पहले मगध महाजनपद की राजधानी हुआ करती थी, के भव्यता और सौंदर्यता के बारे में लिखा है। इस अध्याय में तब भारतीय समाज में व्याप्त वर्ण व्यवस्था के बारे में भी लिखा है तब जाति व्यवस्था कर्म आधारित थी।
लेखक इस किताब में खजुराहो के रहस्यमई मंदिरों के बारे में भी लिखता है। ये मंदिर अपनी यौनिक और कामुकता से भरी मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर चंदेल राजाओं ने 9वीं और 10वीं सदी के समय में बनवाये गए। लेखक ने इस अध्याय में कामुकता यौनिकता और उसका तंत्र विद्या से संबंध के बारे में विस्तार से बताया है।
लेखक ने दक्षिणी राज्य तेलंगाना में स्थित नागार्जुनकोंडा के स्तूपों का इतिहास भी लिखा है। यहां किस तरह से 6वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म फल फूल रहा था और यहां बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र था। यहां बौद्ध धर्म के महायान शाखा के बौद्ध भिक्षु नागार्जुन भी रहा करते थे।
लेखक ने चीनी यात्रियों हानसांग, फाह्यान और इत्सिंग की भारत यात्राओं के बारे में लिखा है। फाह्यान चौथी सदी में भारत आया था और हानसांग तथा इत्सिंग सातवीं सदी में भारत ज्ञान प्राप्ति और बौद्ध धर्म के बारे में जानने के लिए आए।उन्होंने उसे समय भारत की सामाजिक स्थिति क्या थी उसके बारे में बेहतर ढंग से लिखा।
लेखक ने एक पूरा अध्याय नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में लिखा है लेखक नालंदा के पतन का एक कारण आंशिक रूप से ब्राह्मणवाद को मानते हैं और बौद्ध धर्म का उत्तर भारत से विलुप्त होने का कारण भी हिंदुओं को मानते हैं।
लेखक ने अलबरूनी के भारत यात्रा और उसके जीवन के बारे में भी लिखा है। अलबरूनी एक ईरानी इस्लामिक यात्री था जो 1030 के समय भारत भ्रमण पर आया था। वह भूगोल, इतिहास, दर्शन, खगोल शास्त्र का ज्ञाता था। उस समय इस्लाम का स्वर्णिम युग था। अलबरूनी ने इंडिका नामक अपनी किताब में अपनी यात्रा का वर्णन किया है।
लेखक ने बनारस शहर और उसके इतिहास के बारे में लिखा एक अध्याय में फ्रांस की यात्री फ्रांसुआ बर्नियर की भारत यात्रा के बारे में बहुत विस्तार से लिखता है। उस समय भारत में मुगलों का दौर था और औरंगजेब का शासन था। लेखक औरंगजेब के द्वारा 1669 में ढहाये गए काशी विश्वनाथ मंदिर की बर्बरता के बारे में विस्तार से लिखने से बचता है। उसमें भी लेखक ने इस हमले को धार्मिक न बताकर राजनीति से प्रेरित बताया है। पूरी किताब में लेखक हिंदुओं को बाहर से आए हुए और ब्राह्मणों द्वारा अपनी संस्कृति यहां के लोगों पर थोपने की बात कहता है।
Comments
Post a Comment